नन्हे से ये हाथ तुम्हारे जब मैंने थे थामे,
मिल गए थे मुझको जैसे नवजीवन के नज़राने
घर आई फिर मेरे संग, मेरी नन्ही सी ये परी
बीत रहा है समय देखो, तुम हो गयी हो कितनी बड़ी.
आँख मूँद सोती थी, जब ये घंटो तक
करती थी मैं इंतज़ार उठने का इसके तब,
रोती थी जब ये रातो में
आ जाते थे आसूं मेरी भी आँखों में
वो पहली बार जब वो बोली देखो मुझको 'माँ'
थी ख़ुशी कितनी अनमोल
की याद आयो मुझे अपनी माँ.
नन्हे से कदम जब चलने के लिए आगे थे बढ़े
उत्साह और डर तब मेरे मन में भी चले
इन नन्ही नन्ही खुशियों संग कैसे
बीत गया एक साल
पूछती रही मैं खुद से ही
कितनी बार ये सवाल.
चलने लगी मेरी छोट्टी गुडिया
फिर देखो बिन थामे मेरा हाथ
बन गए गुड्डे गुडिया दोस्त इसके
बढ़ते समय के साथ
चुन्नी और बिंदी
खूब लुभाने लगी इसको
इस की ये नन्ही शरारते
हँसाने लगी मुझको.
एक दिन आई जब ये दौड़ के मेरे पास
और बोली माँ लव यु अपने अंदाज़
फिर हो गयी नम मेरी आखे
न था मुझे खुद पे विश्वास.
इन दो सालो में,
कभी आसूं बहे, कभी खून बहा
इस मासूम ने लेकिन सब सहर्ष सहा
अब आ गया है फिर से वो दिन
जब वो आई थी मेरी इन बाहों में
और याद आये मुझे सारे पल फिर से.
घर आई फिर मेरे संग मेरी नन्ही सी ये परी
बीत रहा है समय तुम देखो, हो गयी है कितनी बड़ी
5 comments:
A perfect gift from a mother to her little angel
a perfect gift from a mother to her little angel
Really nice... And how true!
oh !!! sweet suhani
maa aor beti ka pyar
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