माँ
और सोचू तुझे
याद आये सबसे पहले
अपना प्यारा मीठा बचपन मुझे
गोद में खेलती थी मैं तेरी जब
प्यार लगे उसपे सोना आज भी अब
चलती थी मैं
जब हाथ पकड़ के तेरा
न लगता था डर
और न कोई रास्ता
था टेढ़ा मेढा
था टेढ़ा मेढा
रोती थी मैं आसू बहा कर
कैसे लुभाती थी तू मुझे
अनगिनित बातें बना कर
मेरी एक चीख से हो जाती थी
तू कितना परेशान
पढ़ा लिखा कर तूने चाहा
मुझे बनाना अपनी सही पहचान
बीत गया देखो वो बचपन
और तू भी हो गयी है पचपन
तो क्या हुआ हो गयी हूँ मैं अब बड़ी
मैं रहूंगी सदा
तेरी प्यारी सी नन्ही परी
जैसे तूने था थामा मेरा हाथ
नहीं छोडूंगी मैं कभी भी
तेरा देखना ये साथ
जैसे है दिया तूने मुझे
बेइन्तेहा और भरपूर प्यार
हो जाएं तू कितनी ही बड़ी माँ
मैं तुझे दूँगी आजीवन धन्यवाद
और उतना ही प्यार दुलार.
Happy Birthday Mom! Love you the most....
2 comments:
Sooooo touching. ..
Few people are gifted with a creative brain and have the quality of weaving words to convey their thoughts with conciseness and clarity.Hema you are certainly one among the gifted.
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