Friday, January 2, 2009

माँ

भगवान् के बाद जिसका स्थान होता है, वो होती है माँ। हम सब को अपनी माँ सबसे प्रिय होती है।मेरे द्बारा लिखी यह कविता हर माँ के लिए है।

माँ वह प्यार का झरना है,
जो कभी नही रुकता।
बहता है बहता है,
वह कभी नही थकता।
उसके नैनों से झलकता है वात्सल्य,
उमड़ता है प्यार,
किंतु हृदय के टुकड़े की सोच में
आ जाती है माथे पे
चिंता की रेखा कभी कभार।
दया की मूर्ति वो जन्मदात्री,
वही सरस्वती वही गायत्री।
ऐसी जननी को मेरा शत शत प्रणाम।

मुझे बताए आपको यह कविता कैसी लगी ?
और अपनी माँ के लिए कुछ मेरे ब्लॉग पे लिखे।

2 comments:

Aditya Bisaria said...

A fantabulous expression of thoughts to honour the real existing God on earth. I guess... till date... I dont have a better vocabulary to honour my Mom... I wish to dedicate the same to my Mother also.....
Thank You Hema.....

Unknown said...

dil ko chooo gai
maa to hoti hi aisi hai